UPPCL Privatization: वितरण के साथ उत्पादन और पारेषण निगम के सम्पूर्ण निजीकरण की योजना से कर्मचारियों में भारी गुस्सा

UPPCL के निजीकरण के विरोध में अभियन्ता संघ ने किया संघर्ष का ऐलान

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निजीकरण, PPP मॉडल एक अभिशाप

इलेक्ट्रिसिटी क्या है

यह एक बहुत ही जरूरी एवं आधारभूत जरूरत बन चुकी है लोगों के लिए, ग्रामीण क्षेत्र में तो चल जाएगा जैसे- तैसे परन्तु शहरी क्षेत्र में बिना इलेक्ट्रिसिटी 1 घंटे भी बीता पाना मुश्किल सा प्रतीत होता है।


इतनी जरूरी क्यों है

एक उपभोक्ता के नजरिए से देखें तो शहरी क्षेत्रों में तो बिना इलेक्ट्रिसिटी के जीवन की कल्पना भी नहीं की जा सकती और ग्रामीण क्षेत्रों में कृषि तो इलेक्ट्रिसिटी के बिना बिन जल के मछली के सामान है।
UNDP के Human Development Index का महत्वपूर्ण पैरामीटर Per Capita Electricity Consumption भी है।
US का Per Capita consumption – 11267 kWh/year
चीन का – 5474 kWh/year
भारत का – 1025 kWh/year ही है।


पर कैपिटा इलेक्ट्रिसिटी consumption हमारे overall प्रगति का सूचक होता है।
आर्थिक दृष्टि से – आर्थिक दृष्टि से सरकार और बिजनेस समूहों का दृष्टिकोण यह होना चाहिए कि देशवसी कितना अधिक से अधिक इलेक्ट्रिसिटी की खपत करें,


जितना खपत करेंगे उतनी ही इलेक्ट्रॉनिक चीजों का इस्तेमाल करेंगे, जिससे कि economy में गति मिलेगी, अगर बात करें E riksha और इलेक्ट्रिक गाड़ियों की, तो ये pollution कम करने में एवं जीवाश्म ईंधन पर निर्भरता को कम करती है, अभी तो ग्रामीण क्षेत्रों में भी AC एक जरूरत बनती जा रही है, और Induction, Blower और AC तो फैशन बनता जा रहा है, यहां तक कि लोग शादियों में फ्रिज, वाशिंग मशीन के साथ साथ AC एवं अन्य उपकरण देने लगे हैं, परन्तु उनको तो इलेक्ट्रिसिटी फ्री में ही चाहिए ऐसी उनकी सोच है।


सरकार के लिए सुझाव सरकार प्रदेश में बिकने वाले इलेक्ट्रॉनिक उपकरणों LED Lights,TVs, Refrigerator,AC, Induction etc पर 1% अधिक tax लगाकर भी अपने राजकोषीय घाटे की भरपाई कर सकती है।
हमारा नजरिया – सरकार का बजट 7.36 लाख करोड़ रुपए का है, इसमें से अगर वो 15000(0.02%) करोड़ अगर इलेक्ट्रिसिटी पर खर्च कर दे तो भी यह लॉस पूरा किया जा सकता है,
लोगों से प्रत्यक्ष एवं अप्रत्यक्ष कर के रूप में लगभग 100Rs में से 30 Rs लेने के बदले आप उनको ऐसी कौन सी सुविधा दे दे रहे हैं, इलेक्ट्रिसिटी तो उनका अधिकार बनता है।


निजी क्षेत्रों के पास जाने के दुष्परिणाम –
लोगों की छटनी होगी, नौकरियां खत्म होगी, जनता का शोषण होगा, कृषक को समस्या होगी, उत्पादकता घटेगी, इलेक्ट्रॉनिक उपकरणों का इस्तेमाल कम होगा, आर्थिक गतिविधियां सुस्त हो जाएंगी।

है तो बहुत कुछ कहने के लिए परन्तु सब कुछ जानते हुए भी गलती करने वाले कुटिल लोभी को कौन समझाए।

मेरी भविष्यवाणी
इलेक्ट्रिसिटी निजीकरण एक अभिशाप साबित होगा
जनता में ग्रामीण क्षेत्रों में त्राहि त्राहि मच जाएगी, और असंतोष चरम सीमा पर पहुंच जाएगा

विद्युत कर्मचारी संयुक्त संगठन समिति, उत्तर प्रदेश की मुख्य अभियंताओं से अपील…


यह सुनने में आ रहा है कि मुख्य अभियन्ता अपने अधीनस्थ अभियंताओं और कर्मचारियों की बैठक लेकर उन्हें पीपीपी मॉडल के आधार पर विद्युत वितरण का निजीकरण होने की अच्छाइयां समझा रहे हैं। सबसे मजेदार बात यह है कि यह अच्छाई वह लोग समझा रहे हैं जिन्होंने जीवन भर सरकारी क्षेत्र में काम किया है और सेवानिवृत्ति के बाद उन्हें पेंशन भी मिलेगी।

लेकिन महत्वपूर्ण बात है कि निजीकरण की अच्छाई समझाने का काम केवल पूर्वांचल और दक्षिणांचल विद्युत वितरण निगम लिमिटेड के मुख्य अभियंताओं को नहीं दिया गया है। यह कार्य पूरे प्रदेश के मुख्य अभियंताओं को दिया गया है। इसका तात्पर्य यह है कि निजीकरण की शुरुआत हो रही है पूर्वांचल विद्युत वितरण निगम और दक्षिणांचल विद्युत वितरण निगम से लेकिन सारे प्रदेश के विद्युत वितरण का निजीकरण किया जाना है। इसी कारण पूरे प्रदेश में पीपीपी मॉडल की अच्छाइयां बताने के लिए मुख्य अभियंताओं को लगाया गया है।


संघर्ष समिति की मुख्य अभियंताओं से अपील है कि वह बिजली व्यवस्था सुधार हेतु जो भी संभव प्रयास हो सकता है करें और बिजली व्यवस्था सुधार हेतु अपने अधीनस्थ कर्मचारियों को गाइड करें लेकिन निजी क्षेत्र के एजेंट की तरह काम न करें । इतिहास कभी माफ नहीं करेगा। आत्मग्लानि होगी, अपने बच्चों को मुंह दिखाने लायक नहीं रहेंगे।
इंकलाब जिंदाबाद
@ विद्युत कर्मचारी संयुक्त संगठन समिति, उत्तर प्रदेश

29 नवम्बर,1979-अभियंता संकल्प दिवस।

उप्र के बिजली अभियंताओं के शौर्य और साहस का दिन। न्याय मूर्ति बी बी मिश्र की रिपोर्ट लागू कराने हेतु शांतिपूर्वक लोकतांत्रिक ढंग से संघर्ष कर रहे बिजली इंजीनियरों के आन्दोलन का दमन करने हेतु तत्कालीन सरकार ने हड़ताल सहित सभी प्रकार के आंदोलन,प्रदर्शन,सत्याग्रह आदि पर पूर्ण प्रतिबंध लगाते हुए आन्दोलन में सम्मिलित होने वाले बिजली इंजीनियरों की गिरफ्तारी के लिए अध्यादेश के जरिए मीसा (Maintenance of internal security Act) लगा दिया,जिसे अब एन एस ए कहा जाता है।

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उप्र राज्य विद्युत परिषद अभियांता संघ ने साहस पूर्वक इस अलोकतांत्रिक कदम का सशक्त प्रतिकार करने की घोषणा की और महासचिव ने आह्वान किया कि यदि एक भी बिजली इंजीनियर को गिरफ्तार किया गया तो उसी समय सामूहिक जेल भरो आन्दोलन प्रारम्भ होगा।
28-29 नवम्बर की रात पनकी में दो अधीक्षण अभियन्ता और लखनऊ में चार अभियंता गिरफ्तार किए गए। इसकी तीखी प्रतिक्रिया हुई। 29 नवम्बर को प्रातः 10 बजे हाइडिल फील्ड हॉस्टल,लखनऊ के प्रांगण में 500 से अधिक अभियंता एकत्र हुए जिसमे बड़ी संख्या में अधीक्षण अभियन्ता भी सम्मिलित थे। फील्ड हॉस्टल को पुलिस और पी ए सी ने चारों ओर से घेर रखा था।

जैसे ही बिजली इंजीनियरों ने सामूहिक गिरफ्तारी के लिए हजरतगंज कोतवाली के लिए कूच किया, फील्ड हॉस्टल पर ही गिरफ्तारियां शुरू हो गईं। पहले ही दिन इतनी गिरफ्तारियां हुई कि पी ए सी की गाड़ियां कम पड़ गई।
इसके बाद रोज अभियंता संघ जिंदाबाद और भारत माता की जय के नारों से फील्ड हॉस्टल गूंजता रहा और चलता रहा गिरफ्तारियां और सेवा से बर्खास्तगी का दौर। एक प्रमुख समाचार पत्र ने लिखा कि बिजली इंजीनियर जिस तरह बेखौफ होकर सामूहिक गिरफ्तारियां दे रहे हैं उसके नतीजे के रूप में उप्र सरकार के मीसा अध्यादेश के चिथड़े हजरतगंज कोतवाली की नाली में बहते हुए देखे जा सकते हैं।


1600 से अधिक अभियंताओं ने स्वेच्छा से सामूहिक गिरफ्तारियां दीं जिसमे 85 अधीक्षण अभियन्ता और एक मुख्य अभियंता भी सम्मिलित थे। अन्ततः सरकार को झुकना पड़ा । सभी अभियंता बिना शर्त रिहा किए गए, सबकी बहाली हुई। इस प्रकार उप्र राज्य विद्युत परिषद अभियंता संघ समय बद्ध वेतन मान हासिल करने में देश का पहला अग्रणी संगठन बना।
आइए अभियंता संघ के साहस भरे गौरवमय इतिहास का आज हम सब स्मरण करें और संकल्प लें कि पॉवर सेक्टर और अभियंताओं के हितों के लिए हम कोई भी बलिदान देने हेतु सदैव सन्नद्ध रहेंगे।
अभियन्ता संघ जिंदाबाद। इन्कलाब जिन्दाबाद।। भारत माता की जय।।।

UPPCL के निजीकरण के बाद बड़ी संख्या में अभियंता एवं कर्मचारियों संविदा की होगी छटनी :

निजीकरण के बाद बड़ी संख्या में अभियंता, कर्मचारियों एवं संविदा कर्मचारियों की होगी छटनी।
ऊर्जा प्रबंधन निजी कंपनियों के दबाव में काम कर रहा है और उसके बयान भ्रामक एवं निजी कंपनी के प्रवक्ता के रूप में आ रहे हैं।
इस विभाग को बचाने के लिए सभी अभियंता, कर्मचारी एवं संविदा कर्मचारी एक होकर निर्णायक संघर्ष की करें तैयारी।

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निजीकरण के प्रस्ताव से 27600 कर्मचारियों व अभियन्ताओं पर लटकी छंटनी की तलवार : 1523 सहायक अभियन्ताओं की नौकरी जायेगी : पावर कारपोरेशन प्रबन्धन पर गुमराह करने का आरोप : अभियन्ता संघ की केन्द्रीय कार्यकारिणी ने निजीकरण के विरोध में निर्णायक संघर्ष का संकल्प लिया :

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अभियन्ता संघ की केन्द्रीय कार्यकारिणी की लखनऊ में हुई बैठक:

उ0प्र0 राज्य विद्युत परिषद अभियन्ता संघ की केन्द्रीय कार्यकारिणी की आज लखनऊ में हुई बैठक में सर्वसम्मति से यह निर्णय लिया गया कि वाराणसी व आगरा विद्युत वितरण निगमों के निजीकरण के विरोध में निर्णायक संघर्ष किया जायेगा। घाटे के नाम पर निजीकरण करने के पॉवर कारपोरेशन प्रबन्धन के प्रचार को गुमराह करने वाला बताते हुए अभियन्ता संघ ने कहा कि विद्युत अभियन्ता सुधार हेतु प्रबन्धन के साथ सदैव पूरा सहयोग करने को तैयार हैं किन्तु अभियन्ता संघ निजीकरण के किसी स्वरूप को स्वीकार नहीं करेगा।

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सेवा शर्तों के बारे में पॉवर कारपोरेशन के वक्तव्य को भ्रामक बताते हुए अभियन्ता संघ ने कहा कि आगरा डिस्कॉम में 10411 और वाराणसी में 17189 कर्मचारी कार्य कर रहे हैं। इन निगमों का निजीकरण होते ही कुल 27600 कर्मचारी सरप्लस हो जायेंगे जिन्हें छटनी का सामना करना होगा। अभियन्ता संवर्ग के इन दोनों निगमों में 1523 पद समाप्त होंगे। अतः 1523 सहायक अभियन्ताओं की नौकरी जायेगी। 7 मुख्य अभियन्ता स्तर-1, 33 मुख्य अभियन्ता स्तर-2, 144 अधीक्षण अभियन्ता और 507 अधिशासी अभियन्ता के पद समाप्त होने से इन अभियन्ताओं की पदावनति होगी। इलेक्ट्रीसिटी एक्ट-2003 की धारा 133(2) में यह प्राविधान है कि भविष्य में कभी भी किसी भी अन्तरण स्कीम द्वारा अभियन्ताओं की सेवा-शर्तें कमतर नहीं की जा सकती।

निजीकरण का यह प्रस्ताव अभियन्ताओं की सेवा-शर्तें पूरी तरह से कम कर रहा है जो इलेक्ट्रिसिटी एक्ट-2003 का सीधा उल्लंघन है और किसी भी प्रकार से स्वीकार्य नहीं है।
उ0प्र0 राज्य विद्युत परिषद अभियन्ता संघ की केन्द्रीय कार्यकारिणी ने पॉवर कारपोरेशन प्रबन्धन पर घाटे के नाम पर गलत आंकड़े देकर गुमराह करने का आरोप लगाते हुए संकल्प व्यक्त किया है कि विद्युत अभियन्ता निजीकरण के किसी भी स्वरूप को कदापि स्वीकार नहीं करेगें और प्रदेश की विद्युत वितरण व्यवस्था निजी हाथों में सौंपने की प्रबन्धन की कोशिश का समस्त लोकतांत्रिक कदम उठाते हुए पुरजोर विरोध करेंगे।

अभियन्ता संघ ने विद्युत कर्मचारी संयुक्त संघर्ष समिति, उप्र के साथ निजीकरण के विरोध में निर्णायक संघर्ष करने का संकल्प व्यक्त किया और इस हेतु प्रदेश के समस्त अभियन्ताओं से तैयार रहने का आह्वान किया है।

केन्द्रीय कार्यकारिणी की आज हुई बैठक में वाराणसी, गोरखपुर, अयोध्या, प्रयागराज, मेरठ, सहारनपुर, गाजियाबाद, आगरा, बरेली, आजमगढ़, मुजफ्फरनगर, मुरादाबाद, नोएडा, अलीगढ़, अनपरा, ओबरा, हरदुआगंज, बांदा, कानपुर, झांसी, सीतापुर आदि क्षेत्रों एवं परियोजनाओं से सैकड़ों की संख्या में पदाधिकारी व सदस्य उपस्थित हुए।

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संघ के महासचिव ने कहा कि 05 अप्रैल 2018 और 06 अक्टूबर 2020 को तत्कालीन मा0 ऊर्जा मंत्री और मंत्रीमण्डलीय उपसमिति के अध्यक्ष वित्त मंत्री मा0 श्री सुरेश खन्ना जी के साथ हुए लिखित समझौते में स्पष्ट लिखा है कि ‘‘उ0प्र0 में विद्युत वितरण निगमों की वर्तमान व्यवस्था में ही विद्युत वितरण में सुधार हेतु कर्मचारियों एवं अभियन्ताओं को विश्वास में लेकर सार्थक कार्यवाही की जायेगी’’।

अब इस समझौते के विपरीत निजीकरण किया जाना मा0 मंत्रीमण्डलीय उपसमिति का सीधा-सीधा अनादर है। इसके अतिरिक्त इन्हीं समझौतों में यह भी लिखा है कि ‘‘कर्मचारियों एवं अभियन्ताओं को विश्वास में लिये बिना उप्र में किसी भी स्थान पर काई निजीकरण नहीं किया जायेगा’’ के विपरीत निजीकरण किया जाना उन समझौतों का सीधा उल्लंघन है जो कि अभियन्ता संघ को स्वीकार्य नहीं है।

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