पावरकॉम इंजीनियरों ने दो डिस्कॉम के निजीकरण के खिलाफ यूपी इंजीनियरों के विरोध का समर्थन किया

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पटियाला: पीएसईबी इंजीनियर्स एसोसिएशन ने उत्तर प्रदेश सरकार से राज्य के बिजली क्षेत्र और उसके नागरिकों के सर्वोत्तम हित में बिजली क्षेत्र के निजीकरण के अपने फैसले की तत्काल समीक्षा करने और इसे वापस लेने का आग्रह किया है। एसोसिएशन ने विद्युत कर्मचारी संयुक्त संघर्ष समिति के बैनर तले उत्तर प्रदेश के बिजली इंजीनियरों और कर्मचारियों के नेतृत्व में चल रहे आंदोलन के लिए पंजाब के सभी बिजली इंजीनियरों का स्पष्ट समर्थन व्यक्त किया है।

एसोसिएशन ने यूपी के मुख्यमंत्री को लिखे पत्र में कहा है कि राज्य सरकार ने इंजीनियरों और कर्मचारियों के संघों के साथ सार्थक चर्चा किए बिना बिजली क्षेत्र के निजीकरण का एकतरफा फैसला लिया है। यह निर्णय 1.15 लाख करोड़ रुपये की बकाया राशि की वसूली न होने के खतरनाक मुद्दे को भी नजरअंदाज करता है, जो यूपी बिजली क्षेत्र पर एक महत्वपूर्ण बोझ बना हुआ है।

अजय पाल सिंह अटवाल महासचिव ने कहा कि यह निर्णय निजी खिलाड़ियों की पिछली विफलताओं, विशेष रूप से आगरा के उदाहरण को नजरअंदाज करता है, जो एक चेतावनी सबक होना चाहिए था। ऐसे में, इन विचारों के आलोक में, पीएसईबी इंजीनियर्स एसोसिएशन यूपी इंजीनियर्स और कर्मचारियों के विरोध प्रदर्शन के फैसले को पूरी तरह से उचित मानता है। हम 6 दिसंबर, 2024 को शुरू होने वाले प्रस्तावित विरोध प्रदर्शन को अपना पूरा समर्थन देते हैं।

उल्लेखनीय है कि उत्तर प्रदेश में दो बड़ी बिजली वितरण निगमों वाराणसी और आगरा के निजीकरण की घोषणा की गई है। इन दोनों डिस्कॉम के निजीकरण के कारण 70,000 से अधिक नियमित और आउटसोर्स कर्मचारियों को छंटनी का खतरा मंडरा रहा है। पहले चरण में दो डिस्कॉम के निजीकरण की घोषणा की गई है, लेकिन निर्णय पूरे वितरण क्षेत्र के निजीकरण का है।

विद्युत कर्मचारी संयुक्त संघर्ष समिति ने प्रबंधकीय अक्षमताओं को दोषी ठहराया और प्रस्ताव दिया कि आईएएस अधिकारियों के बजाय तकनीकी विशेषज्ञों को प्रबंधन की भूमिका सौंपी जानी चाहिए। “अगर वही कर्मचारी निजीकरण के बाद सुधार ला सकते हैं, तो मौजूदा ढांचे में बदलाव क्यों नहीं किए जा सकते।

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समर्थन अपडेट…

पंजाब, उत्तराखंड, जेएंडके पावर इंजीनियर्स एसोसिएशन ने कल निजीकरण के खिलाफ यूपी संघर्ष का समर्थन किया।

आज एसईए महाराष्ट्र, झारखंड और हरियाणा पावर इंजीनियर्स एसोसिएशन ने निजीकरण के खिलाफ यूपी सीएम को पत्र लिखा है।

punjab,uk,j&k support agains privatisation

निजीकरण के विरोध में मध्यांचल मुख्यालय में सैकड़ो कार्मिकों की उपस्थिति में हुई जन जागरण सभा।
कर्मचारियों ने किया करो या मरो की लड़ाई का ऐलान।
इंकलाब जिंदाबाद

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एक पत्र चेयरमैन के नाम
आदरणीय डॉ अशीष कुमार गोयल
अध्यक्ष उत्तर प्रदेश पावर कार्पोरेशन
महोदय ,


आपके द्वारा वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के माध्यम से अपने अधीनस्थ अधिकारियों व कर्मचारियों को निजी कंपनियों में नौकरी के फायदे का नफा ज्यादा व नुकसान ना के समान प्रस्तुत किया गया ।आपकी लच्छेदार भाषा बहुत मनमोहक थी इसमें कोई संदेह नहीं ।परन्तु आपके पूरे कॉन्फ्रेंस में यह कहीं भी आभास नहीं हुआ कि आप हम सब के मुखिया है ,आप मात्र निजी कंपनी के प्रवक्ता के रूप में खुद को प्रस्तुत कर रहे थे ।


महोदय सामाजिक अवधारणा के अनुसार आप सर्वाधिक बुद्धजीवी संवर्ग से आते है जो IAS के रूप में जाना जाता है ।आपको यूपीएससी पास हुए लगभग ३० वर्ष हो गए लेकिन आप जैसे बुद्धजीवी को आज तक इस बात का आभास नहीं हुआ था कि निजी कंपनियों में कार्य करना ज्यादा फायदेमंद होता है ,वहां अच्छी सुविधाएं मिलती है फिर भी आज तक आप सरकारी महकमे की चकाचौंध में ही रह गए ।लेकिन आप के द्वारा जिस प्रकार निजी कंपनियों के संदर्भ में महिमा मंडन किया जा रहा है वह मात्र २१वीं शदी (कलयुग)का दिखावटी मानसिकता प्रतीत होता है ।


महोदय जब विभाग ७७ करोड़ के घाटे में था तो विभाग को फायदे में लाने के लिए व व्यवस्था को डेवलप करने के उद्देश्य से तमाम IAS को कुर्सी पर बैठाया गया ,जिसका परिणाम रहा कि विभाग ७७ करोड़ से १.१० हजार करोड़ के घाटे के रूप में जाना जाने लगा ,कर्मचारियों की संख्या उपभोक्ता के सापेक्ष न्यूनतम होता गया यह सब मात्र आप बुद्धजीवी संवर्ग के नीतियों का परिणाम है।


आपसे सादर अनुरोध है कि अपने पद की गरिमा व बौद्धिक संवर्ग के रूप में सामाजिक अवधारणा को ध्यान में रखते हुए एवं मोहमाया/ स्वहित को छोड़ कर समस्त विभागीय IAS विभाग हित में नीतियां बनाए ,विभिन्न विभागीय संगठनों से वार्ता कर उचित रूप रेखा बनाते हुए विभाग को नवरत्न कंपनी बनाने की दिशा में कार्य करें व राष्ट्रहित ,उपभोक्ता हित में निजीकरण के विचार को अपने अंतर आत्मा से निकाल फेंके ।

आपका
विभागीय सिपाही
यूपीपीसीएल

राजस्थान में जॉइंट वेंचर के नाम पर विद्युत उत्पादन निगम को बेचा जा रहा है। राजस्थान में संयुक्त संघर्ष समिति इसका विरोध कर रही है।राजस्थान के सबसे बड़े ताप बिजली घर 2320 क्षमता के छबड़ा सुपर थर्मल बिजली घर को एनटीपीसी को हैंडोवर करने का एम ओ यू हो गया है। राजस्थान के दूसरे बड़े ताप बिजली घर झालावाड़ 2000 मेगावाट को कोल इंडिया लिमिटेड को बेचने का निर्णय हो गया है। किसी भी दिन एम ओ यू हो जाएगा। राजस्थान विद्युत उत्पादन निगम लगभग समाप्ति के कगार पर है। राजस्थान के समाचार पत्रों की अपडेट।


यही उप्र में होने वाला है। राजस्थान में पहले अक्टूबर में विद्युत वितरण बेचने की बिडिंग शुरू हुई। उसके तुरन्त बाद उत्पादन निगम बिकना शुरू। उप्र में भी विद्युत वितरण निगमों की बिडिंग होते ही उत्पादन निगम के अंत की शुरुआत होगी।
अभी नहीं तो कभी नहीं।
इन्कलाब जिंदाबाद
@ विद्युत कर्मचारी संयुक्त संघर्ष समिति, उप्र

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